إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ
ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे
सूरा वाक़िया की आयात नि. 45 में सराहत से बयान किया गया है की जहन्नम ऐश और इशरत में पड़े हुए लोगों के लिए है. ए. सी. चल रहा है सवेरा हो चूका है, पड़ी या पड़े सो रहे हैं अहकाम से ग़ाफ़िल नमाज़ से ग़ाफ़िल सो रहे हैं, यह कोई एक दिन की बात नही. हर रोज़ और हर हफ्ते और हर महीने की बात है. नमाज़ क़ज़ा हो चुकी है. कोई ग़म नही. एहकाम की धज्जियां उडा दी कोई परवाह नहीं, कोई रसूल और कोई इमाम आया था उसने कोई एहकाम बताया है - कोई सरोकार नही. उन्होंने अपनी क़ीमती ज़िन्दगियों को अल्लाह के हुक्म को मनवाने के लिए सर्फ कर दी, लेकिन बे-खौफ, लापरवाह उम्मतियों को कोई लेना देना नही. वे तो सो रहे हैं ए। सी. चल रहा है, और नीद है की टूटती ही नही.
यही हैं हुक्म ए इलाही को ठुकराने वाले और अल्लाह के अज़ाब के मुंतज़िर.
असल में ऐश की ज़िन्दगी लोगों को दीन से ग़ाफ़िल करती है मेहनत की ज़िन्दगी, attentive منتبه ज़िन्दगी लोगों को अल्लाह के हुकम की अज़मत का एहसास दिलाती है.
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